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Sunday, May 13, 2018

माँ पर कविताएं " Poems on Mother "

माँ, औरत का एक ऐसा किरदार है, जिसमें संपूर्णता, पवित्रता, त्याग, ममता, प्यार सब कुछ निहित होता है। शायद ही दुनिया का कोई अन्य रिश्ता ऐसा हो, जिसमें इतनी सारी खूबियाँ एक साथ होती हों।
माँ हमेशा अपनी संतानों के लिए बेहतर और भला ही सोचती है और हर वक्त बस इसी चिंता में डूबी रहती है कि मेरा बच्चा कहाँ और कैसा होगा किस हाल में होगा।

हम भले ही कितने ही समझदार गंभीर व् उम्र में बड़ेहो जाएँ परंतु माँ की चिंता हमारे लिए तब भी वैसी ही रहती है, जैसी कि बचपन में होती थी।
अपनी हर साँस के साथ माँ अपनी बच्चों की सलामती व खुशहाली की दुआएं माँगती है। उसकी पूजा-पाठ, आराधना, व्रत-उपवास, आशीर्वाद हर चीज में बस दुआएँ शामिल होती हैं अपने परिवार की सलामती की।



1.माँ की ममता
2.माँ पर मुनव्वर राणा की सम्पूर्ण कविता
3.माँ की दुआ
4.मैंने रोते हुए
5.माँ साथ हो तो
6.मेरी आदर्श "माँ"
7.मैं कभी बतलाता नहीं
8.माँ-माँ संवेदना है
9.वो मेरी माँ थी
10.बेसन की सोंधी रोटी
11.हम जुगनू थे
12.बस माँ तेरा आँचल मिले
13.अम्बर की ऊंचाई
14.धुप में छाया जैसे
15.किसी की ख़ातिर
16.माँ भूलती नहीं
17.माँ तुम्हारी लोरी
18.मेरी माँ
19.ममता की मूरत
20.माँ पर मुनव्वर राणा की शायरी



1.                                                                  .माँ की ममता 



बाजुओं में खींच के आजाये गी जैसे क़ाएनात
अपने बच्चे के लिए ऐसे बाहें फेलाती है माँ

ज़िन्दगी के सफ़र मै गर्दिशों की धुप में
जब कोई साया नहीं मिलता तब बहुत याद आती है माँ

प्यार कहते हैं किसे और ममता क्या चीज़ है
कोई उन बच्चों से पूछे जिनकी मर जाती है माँ

सफा-ए-हस्ती पे लिखती है असूल-ए-ज़िन्दगी
इसलिए तो मक़सद-ए-इस्लाम कहलाती है माँ

जब ज़िगर परदेस जाता है ए नूर-ए-नज़र
कुरान लेके सर पे आ जाती है माँ

लेके ज़मानत में रज़ा-ए-पाक की
पीछे पीछे सर झुकाए दूर तक जाती है माँ

काँपती आवाज़ में कहती है बेटा अलविदा
सामने जब तक रहे हाथों को लहराती है माँ

जब परेशानी में फँस जाते हैं हम परदेस में
आंसुओं को पोंछने ख्वाबों में आ जाती है माँ

मरते दम तक आ सका न बच्चा घर परदेस से
अपनी सारी दुआएं चौखट पे छोड़ जाती है माँ

बाद मरने के बेटे की खिदमत के लिए
रूप बेटी का बदल के घर में आ जाती है माँ....


2.                                            माँ पर मुनव्वर राणा की सम्पूर्ण कविता 


माँ / भाग १
हँसते हुए माँ बाप की गाली नहीं खाते
बच्चे हैं तो क्यों शौक़ से मिट्टी नहीं खाते

हो चाहे जिस इलाक़े की ज़बाँ बच्चे समझते हैं
सगी है या कि सौतेली है माँ बच्चे समझते हैं

हवा दुखों की जब आई कभी ख़िज़ाँ की तरह
मुझे छुपा लिया मिट्टी ने मेरी माँ की तरह

सिसकियाँ उसकी न देखी गईं मुझसे ‘राना’
रो पड़ा मैं भी उसे पहली कमाई देते

सर फिरे लोग हमें दुश्मन-ए-जाँ कहते हैं
हम जो इस मुल्क की मिट्टी को भी माँ कहते हैं

मुझे बस इस लिए अच्छी बहार लगती है
कि ये भी माँ की तरह ख़ुशगवार लगती है

मैंने रोते हुए पोंछे थे किसी दिन आँसू
मुद्दतों माँ ने नहीं धोया दुपट्टा अपना

भेजे गए फ़रिश्ते हमारे बचाव को
जब हादसात माँ की दुआ से उलझ पड़े

लबों पे उसके कभी बद्दुआ नहीं होती
बस एक माँ है जो मुझसे ख़फ़ा नहीं होती

तार पर बैठी हुई चिड़ियों को सोता देख कर
फ़र्श पर सोता हुआ बेटा बहुत अच्छा लगा

माँ / भाग २
इस चेहरे में पोशीदा है इक क़ौम का चेहरा
चेहरे का उतर जाना मुनासिब नहीं होगा

अब भी चलती है जब आँधी कभी ग़म की ‘राना’
माँ की ममता मुझे बाहों में छुपा लेती है

मुसीबत के दिनों में हमेशा साथ रहती है
पयम्बर क्या परेशानी में उम्मत छोड़ सकता है

पुराना पेड़ बुज़ुर्गों की तरह होता है
यही बहुत है कि ताज़ा हवाएँ देता है

किसी के पास आते हैं तो दरिया सूख जाते हैं
किसी के एड़ियों से रेत का चश्मा निकलता है

जब तक रहा हूँ धूप में चादर बना रहा
मैं अपनी माँ का आखिरी ज़ेवर बना रहा
देख ले ज़ालिम शिकारी ! माँ की ममता देख ले
देख ले चिड़िया तेरे दाने तलक तो आ गई

मुझे भी उसकी जदाई सताती रहती है
उसे भी ख़्वाब में बेटा दिखाई देता है

मुफ़लिसी घर में ठहरने नहीं देती उसको
और परदेस में बेटा नहीं रहने देता

अगर स्कूल में बच्चे हों घर अच्छा नहीं लगता
परिन्दों के न होने पर शजर अच्छा नहीं लगता

माँ / भाग ३
गले मिलने को आपस में दुआयें रोज़ आती हैं
अभी मस्जिद के दरवाज़े पे माएँ रोज़ आती हैं

कभी —कभी मुझे यूँ भी अज़ाँ बुलाती है
शरीर बच्चे को जिस तरह माँ बुलाती है
किसी को घर मिला हिस्से में या कोई दुकाँ आई
मैं घर में सब से छोटा था मेरे हिस्से में माँ आई

ऐ अँधेरे! देख ले मुँह तेरा काला हो गया
माँ ने आँखें खोल दीं घर में उजाला हो गया

इस तरह मेरे गुनाहों को वो धो देती है
माँ बहुत ग़ुस्से में होती है तो रो देती है

मेरी ख़्वाहिश है कि मैं फिर से फ़रिश्ता हो जाऊँ
माँ से इस तरह लिपट जाऊँ कि बच्चा हो जाऊँ

मेरा खुलूस तो पूरब के गाँव जैसा है
सुलूक दुनिया का सौतेली माओं जैसा है

रौशनी देती हुई सब लालटेनें बुझ गईं
ख़त नहीं आया जो बेटों का तो माएँ बुझ गईं

वो मैला—सा बोसीदा—सा आँचल नहीं देखा
बरसों हुए हमने कोई पीपल नहीं देखा

कई बातें मुहब्बत सबको बुनियादी बताती है
जो परदादी बताती थी वही दादी बताती है


3.                                               माँ की दुआ Mother's Day hindi Poem



मेरे सर पर भी माँ की दुआओं का साया होगा
इसलिए समन्दर ने मुझे डूबने से बचाया होगा

माँ की आगोश में लौट आया है वो बेटा फिर से
शायद इस दुनिया ने उसे बहुत सताया होगा


अब उसकी मोहब्बत की कोई क्या मिसाल दे
पेट अपना काट जब बच्चों को खिलाया होगा

की थी सकावत उमर भर जिसने उन के लिए
क्या हाल हुआ जब हाथ में कजा आया होगा

कैसे जन्नत मिलेगी उस औलाद को जिस ने
उस माँ से पैहले बीवी का फ़र्ज़ निभाया होगा

और माँ के सजदे को कोई शिर्क ना कह दे
इसलिए उन पैरों में एक स्वर्ग बनाया होगा


4.                                                 माँ पर कविता Mother's hindi poem



मुझको हर हाल में बख़्शेगा उजाला अपना
चाँद रिश्ते में तो लगता नहीं मामा अपना

मैंने रोते हुएपोंछे थे किसी दिन आँसू
मुद्दतों माँ ने नहीं धोया दुपट्टा अपना

हम परिन्दों कीतरह उड़ के तो जाने से रहे
इस जनम में तो न बदलेंगे ठिकाना अपना

धूप से मिल गए हैं पेड़ हमारेघर के
हम समझते थे कि काम आएगा बेटा अपना

सच बता दूँ तो ये बाज़ार-ए-मुहब्बत गिर जाए
मैंने जिस दाम में बेचा है ये मलबा अपना

आइनाख़ाने में रहने का ये इनआम मिला
एक मुद्दत से नहीं देखा है चेहरा अपना

तेज़ आँधी में बदल जाते हैं सारे मंज़र
भूल जाते हैं परिन्दे भी ठिकाना अपना



5.                                               माँ साथ हो तो BEST POEM FOR MOTHER


                                          
माँ साथ हो तो साया-ए-कुदरत भी साथ है,
माँ के बगेर लगे दिन भी रात है..

मै दूर जाऊं तो उसका सर पे हाथ है,
मेरे लिए तो मेरी माँ ही काएनात है..

दामन में माँ के सिर्फ वफाओं के फूल हैं,
हम सारे अपनी माँ के क़दमों की धुल है..

औलाद के सितम उसे हँस के कबूल हैं,
बच्चों को बक्श देना ही माँ के उसूल हैं..

दिन रात उसने पाल पोस के बड़ा किया,
गिरने लगा तो माँ ने मुझे फिर खड़ा किया..

ये कामयाबियाँ, इज्ज़त ये नाम तुमसे हैं
ख़ुदा ने जो भी दिया है मकाम तुमसे है

तुम्हारे दम से हैं मेरे लहू में खिलते गुलाब
मेरे वजूद का सारा निज़ाम तुमसे है

कहाँ बिसात-ए-जहाँ और मैं कमसिन ओ नादाँ
ये मेरी जीत का सब अह्तेमाम तुमसे है

जहां जहां है मेरी दुश्मनी सबब मैं हूँ
जहाँ जहाँ है मेरा एहतराम तुमसे है...

6.                                                               मेरा आदर्श "माँ"



वह अटल है, वह सकल है,
वह अजर है, वह अमर है,
वह अगन है, वह तपन है,
वह लगन है, वह भजन है।

इन चक्षुओं का मीत है,
वह आत्मा का गीत है,
वह हर पवन का राग है,
वह त्याग है वह भाग है।

वह प्रेम है, वह धर्म है,
वह तत्व है वह मर्म है,
वह जलज है, है जल वही
वह रोशनी, दीपक वही।

गिरजे की वह है घंटियाँ,
मन्दिर की है मूरत वही।
सागर की है वह सीपियाँ,
इस हृदय में सूरत वही।

वह जो कहे, तो चीर डालूँ,
धरा को और जल बनूँ।
वह जो कहे तो छोड़ दूँ
संसार को मधुकण बनूँ।

वह मेरी पूजा, मैं पुजारी,
वह मेरी भिक्षा, मैं भिखारी।
वह रूप है, वह धूप है,
वह बोल है, वह चूप है।

वह आस है, विश्वास है,
वह दर्द है परिहास है।
वह ये गगन, वह चंद्रमा,
वह ये ज़मीं, वह ज्योत्सना।

वह इस बदन की जान है
माता मेरी पहचान है।
आदर्श मेरा है मेरी माँ,
ही मेरी भगवान है।

कविता का श्रेय लेखक को जाता है।

7.                                                            मैं कभी बतलाता नहीं



मैं कभी बतलाता नहीं
पर अँधेरे से डरता हूँ मैं माँ
यूँ तो मैं ,दिखलाता नहीं
तेरी परवाह करता हूँ मैं माँ
तुझे सब हैं पता , हैं न माँ
तुझे सब हैं पता ,,मेरी माँ

भीड़ में यूँ न छोड़ो मुझे
घर लौट के भी आ ना पाऊँ माँ
भेज न इतना दूर मुझको तू
याद भी तुझको आ ना पाऊँ माँ
क्या इतना बुरा हूँ मैं माँ
क्या इतना बुरा मेरी माँ

जब भी कभी पापा मुझे
जोर जोर से झूला झुलाते हैं माँ
मेरी नज़र ढूंढें तुझे
सोचू यही तू आ के थामेगी माँ

उनसे मैं यह कहता नहीं
पर मैं सहम जाता हूँ माँ
चेहरे पे आना देता नहीं
दिल ही दिल में घबराता हूँ माँ
तुझे सब है पता है ना माँ
तुझे सब है पता मेरी माँ

मैं कभी बतलाता नहीं
पर अँधेरे से डरता हूँ मैं माँ
यूँ तो मैं ,दिखलाता नहीं
तेरी परवाह करता हूँ मैं माँ
तुझे सब हैं पता , हैं न माँ
तुझे सब हैं पता ,,मेरी माँ

यह गीत तारे ज़मीन पर मूवी से लिया गया है



8.                                            माँ-माँ संवेदना है BEST-MOTHER-POEM

माँ, माँ-माँ संवेदना है, भावना है अहसास है
माँ, माँ जीवन के फूलों में खुशबू का वास है,

माँ, माँ रोते हुए बच्चे का खुशनुमा पलना है,
माँ, माँ मरूथल में नदी या मीठा सा झरना है,

माँ, माँ लोरी है, गीत है, प्यारी सी थाप है,
माँ, माँ पूजा की थाली है, मंत्रों का जाप है,

माँ, माँ आँखों का सिसकता हुआ किनारा है,
माँ, माँ गालों पर पप्पी है, ममता की धारा है,

माँ, माँ झुलसते दिलों में कोयल की बोली है,
माँ, माँ मेहँदी है, कुमकुम है, सिंदूर है, रोली है,

माँ, माँ कलम है, दवात है, स्याही है,
माँ, माँ परमात्मा की स्वयं एक गवाही है,

माँ, माँ त्याग है, तपस्या है, सेवा है,
माँ, माँ फूँक से ठँडा किया हुआ कलेवा है,

माँ, माँ अनुष्ठान है, साधना है, जीवन का हवन है,
माँ, माँ जिंदगी के मोहल्ले में आत्मा का भवन है,

माँ, माँ चूडी वाले हाथों के मजबूत कं धों का नाम है,
माँ, माँ काशी है, काबा है और चारों धाम है,

माँ, माँ चिंता है, याद है, हिचकी है,
माँ, माँ बच्चे की चोट पर सिसकी है,

माँ, माँ चुल्हा-धुँआ-रोटी और हाथों का छाला है,
माँ, माँ ज़िंदगी की कड़वाहट में अमृत का प्याला है,

माँ, माँ पृथ्वी है, जगत है, धूरी है,
माँ बिना इस सृष्टि की कल्पना अधूरी है,

तो माँ की ये कथा अनादि है,ये अध्याय नही है…
और माँ का जीवन में कोई पर्याय नहीं है,

तो माँ का महत्व दुनिया में कम हो नहीं सकता,
और माँ जैसा दुनिया में कुछ हो नहीं सकता,
तो मैं कला की ये पंक्तियाँ माँ के नाम करता हूँ,
और दुनिया की सभी माताओं को प्रणाम करता हूँ।

कविता का श्रेय लेखक को जाता है।



9.                                                                       वो मेरी माँ थी


जितना मैं पढता था,शायद उतना ही वो भी पढ़ती,
मेरी किताबों को वो मुझसे ज्यादा सहज कर रखती,

मेरी कलम, मेरी पढने की मेज़ , उसपर रखी किताबे,
मुझसे ज्यादा उसे नाम याद रहते, संभालती थी किताबे,

मेरी नोट-बुक पर लिखे हर शब्द, वो सदा ध्यान से देखती,
चाहे उसकी समझ से परे रहे हो, लेकिन मेरी लेखनी देखती,

अगर पढ़ते पढ़ते मेरी आँख लग जाती, तो वो जागती रहती,
और जब मैं रात भर जागता ,तब भी वो ही तो जागती रहती,

और मेरी परीक्षा के दिन, मुझसे ज्यादा उसे भयभीत करते थे,
मेरे परीक्षा के नियत दिन रहरह कर, उसे ही भ्रमित करते थे,

वो रात रात भर, मुझे आकर चाय काफी और बिस्कुट की दावत,
वो करती रहती सब तैयारी, बिना थके बिना रुके, बिन अदावात,

अगर गलती से कभी ज्यादा देर तक मैं सोने की कोशिश करता,
वो आकर मुझे जगा देती प्यार से, और मैं फिर से पढना शुरू करता,

मेरे परीक्षा परिणाम को, वो मुझसे ज्यादा खोजती रहती अखबार में,
और मेरे कभी असफल होने को छुपा लेती, अपने प्यार दुलार में,

जितना जितना मैं आगे बढ़ता रहा, शायद उतना वो भी बढती रही,
मेरी सफलता मेरी कमियाबी, उसके ख्वाबों में भी रंग भरती रही,

पर उसे सिर्फ एक ही चाह रही, सिर्फ एक चाह, मेरे ऊँचे मुकाम की,
मेरी कमाई का लालच नहीं था उसके मन में, चिंता रही मेरे काम की,

वो खुदा से बढ़कर थी पर मैं ही समझता रहा उसे नाखुदा की तरह जैसे,
वो मेरी माँ थी, जो मुझे जमीं से आसमान तक ले गयी, ना जाने कैसे ...



10.                                           बेसन की सोंधी रोटी POEM ON MOTHER



' माँ ' 

बेसन की सोंधी रोटी पर खट्टी चटनी जैसी माँ ,
याद आता है चौका-बासन, चिमटा फुँकनी जैसी माँ

बाँस की खुर्री खाट के ऊपर हर आहट पर कान धरे ,
आधी सोई आधी जागी थकी दुपहरी जैसी माँ

चिड़ियों के चहकार में गूँजे राधा-मोहन अली-अली ,
मुर्गे की आवाज़ से खुलती, घर की कुंड़ी जैसी माँ

बीवी, बेटी, बहन, पड़ोसन थोड़ी-थोड़ी सी सब में ,
दिन भर इक रस्सी के ऊपर चलती नटनी जैसी माँ

बाँट के अपना चेहरा, माथा, आँखें जाने कहाँ गई ,
फटे पुराने इक अलबम में चंचल लड़की जैसी माँ

कविता का श्रेय फ़ाज़ली साहब को जाता है।



11.                                                  हम जुगनू थे POEM ON MOTHER



हम जुगनू थे हम तितली थे
हम रंग बिरंगे पंछी थे

कुछ महो-साल की जन्नत में
माँ हम दोनों भी सांझी थे

में छोटा सा इक बच्चा था
तेरी ऊँगली थाम के चलता था

तू दूर नजर से होती थी
में आंसू आंसू रोता था

इक ख्वाबों का रोशन बस्ता
तू रोज मुझे पहनाती थी

जब डरता था में रातों में
तू अपने साथ सुलाती थी

माँ तुने कितने बरसों तक
इस फूल को सींचा हाथों से

जीवन के गहरे भेदों को
में समझा तेरी बातों से

मैं तेरे हाथ के तकिए पर
अब भी रात को सोता हूँ

माँ में छोटा सा इक बच्चा
तेरी याद में अब भी रोता हूँ

कविता का श्रेय लेखक को जाता है।



12.                                           बस माँ तेरा आँचल मिले POEM FOR MOTHER



ऐ माँ
मेने देखा

मैंने समझा
ये दुनिया कितनी छोटी हे
और तेरा आँचल कितना बड़ा हे
तेरे आँचल में मिले मुझे लाख फूल
दुनिया में मिले कदम कदम पर लाख शूल
तुने हर कदम पर संभाला
दुनिया ने हर कदम पर गिराया
सबसे बड़ा तेरा दिल
बाकी सब पत्थर दिल
बस माँ तेरा तेरा आँचल मिले
रख कर उस में सिर
मीठी मीठी लोरी सुनु
प्यारी प्यारी बाते सुनु
बस माँ तेरा आँचल मिले

कविता का श्रेय लेखक को जाता है।



13.                                          अम्बर की ऊंचाई POEM ON MOTHER


                                           

अम्बर की ऊंचाई, धरती की ये गहराई
तेरे मुंह में है समाई, माई ओ माई,

तेरा मन अमृत का प्याला, येही काबा येही शेवाला
तेरी ममता पावन दाई, माई ओ माई,

जी चाहे तेरे साथ रहूँ मैं बनके तेरा हमजोली
तेरे पास ना आऊं छुप जाऊं, यूँ खेलूं आँख मिचोली,

परियों की कहानी सुना के, कोई मीठी लोरी गा के
कर दे सपने सुखदाई, माई ओ माई,

संसार के ताने बाने से घबराता है मन मेरा
इन झूठे रिश्ते नातों में, बस प्यार है सच्चा तेरा,

सब दुःख सुख में ढल जाएँ तेरी बाहें जो मिल जाएँ
मिल जाये मुझे खुदाई, माई ओ माई,

फिर कोई शरारत हो मुझसे नाराज करूँ फिर तुझको
फिर गल पे थापी मार के सीने से लगा ले मुझ को,

बचपन की प्यास बुझा दे अपने हाथ से खिला दे
पल्लू में बंधी मिठाई, माई ओ माई....

कविता का श्रेय लेखक को जाता है।



14.                                               धुप में छाया जैसे mothes's day hindi poem


                                                 

धुप में छाया जैसे,
प्यास में दरिया जैसे
तन में जीवन जैसे,
मन में दर्पण जैसे,

हाथ दुआओं वाले रोशन करे उजाले,
फूल पे जैसे शबनम, सांस में जैसे सरगम,
प्रेम की मूरत दया की सूरत ,
ऐसे और कहाँ है ,जैसी मेरी माँ है।

जब भी अँधेरा छा जाये
वोह दीपक बन जाए ,
जब इक अकेली रात सताए,
वोह सपना बन जाए,
अन्दर नीर बहाए ,
बाहर से मुस्काए,
काया वोह पावन सी,मथुरा-वृन्दावन जैसी,
जिसके दर्शन में हो भगवन ,
ऐसी और कहाँ है,जैसी मेरी माँ है....



15.                                              किसी की ख़ातिर mothes's day hindi poem

                                           

किसी की ख़ातिर अल्ला होगा, किसी की ख़ातिर राम
लेकिन अपनी ख़ातिर तो है, माँ ही चारों धाम

जब आँख खुली तो अम्मा की गोदी का एक सहारा था
उसका नन्हा-सा आँचल मुझको भूमण्डल से प्यारा था

उसके चेहरे की झलक देख चेहरा फूलों-सा खिलता था
उसके स्तन की एक बूंद से मुझको जीवन मिलता था

हाथों से बालों को नोचा, पैरों से खूब प्रहार किया
फिर भी उस माँ ने पुचकारा हमको जीभर के प्यार किया

मैं उसका राजा बेटा था वो आँख का तारा कहती थी
मैं बनूँ बुढ़ापे में उसका बस एक सहारा कहती थी

उंगली को पकड़ चलाया था पढ़ने विद्यालय भेजा था
मेरी नादानी को भी निज अन्तर में सदा सहेजा था

मेरे सारे प्रश्नों का वो फौरन जवाब बन जाती थी
मेरी राहों के काँटे चुन वो ख़ुद ग़ुलाब बन जाती थी

मैं बड़ा हुआ तो कॉलेज से इक रोग प्यार का ले आया
जिस दिल में माँ की मूरत थी वो रामकली को दे आया

शादी की, पति से बाप बना, अपने रिश्तों में झूल गया
अब करवाचौथ मनाता हूँ माँ की ममता को भूल गया

हम भूल गए उसकी ममता, मेरे जीवन की थाती थी
हम भूल गए अपना जीवन, वो अमृत वाली छाती थी

हम भूल गए वो ख़ुद भूखी रह करके हमें खिलाती थी
हमको सूखा बिस्तर देकर ख़ुद गीले में सो जाती थी

हम भूल गए उसने ही होठों को भाषा सिखलाई थी
मेरी नींदों के लिए रात भर उसने लोरी गाई थी

हम भूल गए हर ग़लती पर उसने डाँटा-समझाया था
बच जाऊँ बुरी नज़र से काला टीका सदा लगाया था

हम बड़े हुए तो ममता वाले सारे बन्धन तोड़ आए
बंगले में कुत्ते पाल लिए माँ को वृद्धाश्रम छोड़ आए

उसके सपनों का महल गिरा कर कंकर-कंकर बीन लिए
ख़ुदग़र्ज़ी में उसके सुहाग के आभूषण तक छीन लिए

हम माँ को घर के बँटवारे की अभिलाषा तक ले आए
उसको पावन मंदिर से गाली की भाषा तक ले आए


माँ की ममता को देख मौत भी आगे से हट जाती है
गर माँ अपमानित होती, धरती की छाती फट जाती है

घर को पूरा जीवन देकर बेचारी माँ क्या पाती है
रूखा-सूखा खा लेती है, पानी पीकर सो जाती है

जो माँ जैसी देवी घर के मंदिर मेंनहीं रख सकते हैं
वो लाखों पुण्य भले कर लें इंसान नहीं बन सकते हैं

माँ जिसको भी जल दे दे वो पौधा संदल बन जाता है
माँ के चरणों को छूकर पानी गंगाजल बन जाता है

माँ के आँचल ने युगों-युगों से भगवानों को पाला है
माँ के चरणों में जन्नत है गिरिजाघर और शिवाला है

हिमगिरि जैसी ऊँचाई है, सागर जैसी गहराई है
दुनिया में जितनी ख़ुशबू है माँ के आँचल से आई है

माँ कबिरा की साखी जैसी, माँ तुलसी की चौपाई है
मीराबाई की पदावली ख़ुसरो की अमर रुबाई है

माँ आंगन की तुलसी जैसी पावन बरगद की छाया है
माँ वेद ऋचाओं की गरिमा, माँ महाकाव्य की काया है

माँ मानसरोवर ममता का, माँ गोमुख की ऊँचाई है
माँ परिवारों का संगम है, माँ रिश्तों की गहराई है

माँ हरी दूब है धरती की, माँ केसर वाली क्यारी है
माँ की उपमा केवल माँ है, माँ हर घर की फुलवारी है

सातों सुर नर्तन करते जब कोई माँ लोरी गाती है
माँ जिस रोटी को छू लेती है वो प्रसाद बन जाती है




16.                                                     माँ भूलती नहीं mother's day poem



माँ भूलती नहीं,
याद रखती है हर टूटा सपना।
नहीं चाहती कि
उसकी बेटी को भी पड़े
उसी की तरह
आग में तपना।
माँ जानती है
जिन्दगी कि बगिया में
फूल कम - शूल अधिक हैं,
उसे यह भी ज्ञात है कि
समय सदा साथ नहीं देता।
वह अपनी राजदुलारी को
रखना चाहती है महफूज़
नहीं चाहती कि
उस जान से ज्यादा
अज़ीज़ बेटी पर
कभी भी उठे उँगली।
इसलिए वह
भीतर से
नर्म होते हुए भी
ऊपर से
दिखती है कठोर।
जैसे रात की सियाही
छिपाए रहती है
अपने दामन में
उजली भोर।



17.                                                  माँ पर कविता mothes's day hindi poem


माँ
तुम्हारी लोरी नहीं सुनी मैंने,
कभी गाई होगी
याद नहीं
फिर भी जाने कैसे
मेरे कंठ से
तुम झरती हो।
तुम्हारी बंद आँखों के सपने
क्या रहे होंगे
नहीं पता
किंतु मैं
खुली आँखों
उन्हें देखता हूँ ।
मेरा मस्तक
सूँघा अवश्य होगा तुमने
मेरी माँ !
ध्यान नहीं पड़ता
परंतु
मेरे रोम-रोम से
तुम्हारी कस्तूरी फूटती है ।
तुम्हारा ममत्व
भरा होगा लबालब
मोह से,
मेरी जीवनासक्ति
यही बताती है ।
और
माँ !
तुमने कई बार
छुपा-छुपी में
ढूंढ निकाला होगा मुझे
पर मुझे
सदा की
तुम्हारी छुपा-छुपी
बहुत रुलाती है;
बहुत-बहुत रुलाती है;

पढ़िए आज की पोस्ट में माँ की लोरी पर एक मार्मिक कविता



18.                                                           मेरी माँ (poem for mother)

                                            
बहुत याद आती है माँ
जब भी होती थी मैं परेशान
रात रात भर जग कर
तुम्हारा ये कहना कि
कुछ नहीं… सब ठीक हो जाएगा ।
याद आता है…. मेरे सफल होने पर
तेरा दौड़ कर खुशी से गले लगाना ।
याद आता है, माँ तेरा शिक्षक बनकर
नई-नई बातें सिखाना
अपना अनोखा ज्ञान देना ।
याद आता है माँ
कभी दोस्त बन कर
हँसी मजाक कर
मेरी खामोशी को समझ लेना ।
याद आता है माँ
कभी गुस्से से डाँट कर
चुपके से पुकारना
फिर सिर पर अपना
स्नेह भरा हाथ फेरना ।
याद आता है माँ
बहुत अकेली हूँ
दुनिया की भीड़ में
फिर से अपना
ममता का साया दे दो माँ
तुम्हारा स्नेह भरा प्रेम
बहुत याद आता है माँ


"धन्य हो तुम माँ सीता
तुमने नारी का मन जीता
बढाया था तुमने पहला कदम
जीवन भर मिला तुम्हें बस गम
पर नई राह तो दिखला दी
नारी को आज़ादी सिखला दी
तोडा था तुमने इक बंधन
और बदल दिया नारी जीवन
तुमने ही नव-पथ दिखलाया
नारी का परिचय करवाया
तुमने ही दिया नारी को नाम
हे माँ तुझे मेरा प्रणाम "

"आंचल में ममता लिए हुए
नैनों से आंसु पिए हुए
सौंप दे जो पूरा जीवन
फिर क्यों आहत हो उसका मन "

"माँ तू क्यों कभी थकती नही?
क्यों तू कभी अपने कर्मो से बचती नही?
तेरी थकान की पीड़ा,
क्यों मुझे होती है।
क्यों ऐसे बलिदान की शक्ति,
सिर्फ तुझ मे होती है।
संघर्ष तो हम सब भी करते है,
क्यों इतने काम के बावजूद भी,
हम तुझसे और उम्मीद करते है।
क्या इसलिए?
क्यूंकि तूने कभी किसी से कुछ कहा नही।
मानली हमेशा अपनो की बात,
जैसे होगा बस वही सही।"


"राजाओं की भी जो माता
क्यों हीन उसे समझा जाता "

सबसे प्यारी, सबसे न्यारी,कितनी भोली भाली माँ.
तपती दोपहरी में जैसे,शीतल छैया वाली माँ.
मुझको देख -देख मुस्काती, मेरे आँसु सह न पाती.मेरे सुख के बदले अपने,सुख की बलि चढ़ाती माँ.
इसकी 'ममता' की पावन,मीठी बोली है मन भावन,कांटो की बगिया में सुन्दर,फूलों को बिखराती माँ.
इसका आँचल निर्मल उज्जवल,जिसमे हैं, नभ - जल -थल.अपने शुभ आशिषों से, हम को सहलाती माँ.
माँ का मन न कभी दुखाना,हरदम इसको शीश झुकाना,इस धरती पर माता बनकर,ईश कृपा बरसाती माँ.
प्रेमभाव से मिलकर रहना,आदर सभी बड़ो का करना,सेवा, सिमरन, सत्संग वाली,सच्ची राह दिखाती माँ.
सबसे भोली सबसे प्यारी,सबसे न्यारी मेरी माँ.

19.                                                                ममता की मूरत

                                           


क्या सीरत क्या सूरत थी
माँ ममता की मूरत थी
पाँव छुए और काम बने
अम्मा एक महूरत थी
बस्ती भर के दुख सुख में
एक अहम ज़रूरत थी
सच कहते हैं माँ हमको
तेरी बहुत ज़रूरत थी

कविता का श्रेय मंगल नसीम जी को जाता है।



20.                                                    माँ पर मुनव्वर राणा की शायरी


                                             



मेरा बचपन था मेरा घर था खिलौने थे मेरेसर पे माँ बाप का साया भी ग़ज़ल जैसा था

मुक़द्दस मुस्कुराहट माँ के होंठों पर लरज़ती है
किसी बच्चे का जब पहला सिपारा ख़त्म होता है

मैं वो मेले में भटकता हुआ इक बच्चा हूँ
जिसके माँ बाप को रोते हुए मर जाना है

मिलता—जुलता हैं सभी माँओं से माँ का चेहरा
गुरूद्वारे की भी दीवार न गिरने पाये

मैंने कल शब चाहतों की सब किताबें फाड़ दीं
सिर्फ़ इक काग़ज़ पे लिक्खा लफ़्ज़—ए—माँ रहने दिया

घेर लेने को मुझे जब भी बलाएँ आ गईं
ढाल बन कर सामने माँ की दुआएँ आ गईं

मैदान छोड़ देने स्र मैं बच तो जाऊँगा
लेकिन जो ये ख़बर मेरी माँ तक पहुँच गई

‘मुनव्वर’! माँ के आगे यूँ कभी खुल कर नहीं रोना
जहाँ बुनियाद हो इतनी नमी अच्छी नहीं होती

मिट्टी लिपट—लिपट गई पैरों से इसलिए
तैयार हो के भी कभी हिजरत न कर सके

मुफ़्लिसी ! बच्चे को रोने नहीं देना वरना
एक आँसू भरे बाज़ार को खा जाएगा

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1 comments:

Unknown said...


⚔️SECURITY is a constant concern in today’s world, when technology can easily work with or against our safety. Everyone carries a smartphone these days, with a growing 2.32 billion users who access private information on their device daily.
The question is, who else is accessing that private information?
In 2016, hackers targeted nearly a million Android phones–and that statistic isn’t even considering phones with other operating systems such as Apple or Windows.
Luckily, there are ways to tell whether your smartphone has been hacked. If any activity on your phone seems suspicious, run a few quick checks to make sure that your phone’s security is on the up-and-up. Let’s start from the beginning:

✅✅Know the Signs and Signals
Make yourself aware of common signs that your phone is being monitored. Knowing all these codes doesn’t help if you don’t know what abnormal activity looks like, and therefore don’t know when or how to use them. Warning signs include:
* Unknown apps. Malicious monitoring apps need to be directly installed on your device, so it’s a red flag if you see an app with a vague name that you don’t recognize.
* Rapid battery loss. Malware constantly running in the background takes a toll on your phone’s resources, which can also lead to slow performance and unusual overheating.
* Strange text messages. Are friends receiving SMS or social media messages that you didn’t send?
* Increased data or SMS use. When your data and SMS use for the month exceeds your normal use significantly, it can mean that you’re not the only one controlling device use.
* Pop-ups despite having an adblocker. Strange pop-ups may appear attempting to phish information if malware is affecting your phone.
* Blocked e-mails. Are you sending e-mails that never reach their destination? This mysterious phenomena indicates that your e-mail configuration has been moved to an unauthorized server.
* Data breaches. If you’ve had private information like passwords or private messages leaked, that’s a good sign that there’s a problem elsewhere. 
This isn’t an exhaustive list of potential signs and signals that you’re being hacked, but it should give you a good idea so you can make common-sense decisions about what’s normal and what isn’t. Next: what action should you take if you notice a red flag?  

✅✅What if You Have Been Hacked?

If you’ve been hacked, there are a few steps you can take to re-secure your information and protect yourself.
First, if the redirection code indicates that calls are being redirected, dial ##002#, which automatically undoes all redirection commands.
Second, run a full system restore on your phone, wiping it completely. But first, encrypt your data so it’s fully protected. On most phones, these settings are under Settings > Security. It may take a few hours, so make sure your phone is plugged in. It can lead to permanent damage if the battery drains to nothing while encrypting and wiping your phone.
Third, take precautions to keep your smartphone safe from future hacks. Install a reputable antivirus app and run scans on a regular basis to detect malware and suspicious apps before they have a chance to wreak havoc on your personal information.

✅✅FOR ALL KINDS OF PROFESSIONAL HACKING SERVICES RANGING FFROM FROM:
✅Website hacking 💻,✅Facebook and social media hacking📲, ✅Database hacking, Email hacking⌨️, ✅Phone and Gadget Hacking📲💻,✅Clearing Of Criminal Records❌ ✅Location Tracking and many More✅

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📲compositehacks@gmail.com📲

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